14 May Cosmic Mail (हिंदी)
हे शांतस्वरूप आत्मा,
चलिए शुरू करते है आज का कॉस्मिक मेल हमारे अलौकिक पिता ब्रम्हांड का शुक्रिया करते हुए।
सवाल: आत्मा को शरीर की क्या आवश्यकता है?
अलौकिक पिता परमात्मा का जवाब:
“मेरे प्यारे बच्चो,
मैं आपका अलौकिक पिता परमात्मा हूं। मैं हमेंशा चाहता हूं की मेरे बच्चे बहोत खुश रहे। वैसे बहोत आसान एवं गहरा सवाल है।
सबसे पहले यह जान लेते है की आत्मा और शरीर मे क्या अंतर है। आत्मा मेरा हिस्सा है और शरीर मेरी बनाई हुई प्रकृति का हिस्सा है। शरीर प्रकृति के पांच तत्वों से बना है। आत्मा अमर है, शरीर फिर से एक दिन वही पांच तत्वों मे विलीन हो जायेगा। तो यहाँ पे हमने सिर्फ इतना जाना की नये नये शरीर आते जाते रहते है लेकिन आत्मा अपना रूप नहीं बदलती।
वैसे यह सवाल को समझने के लिए अपने आप से एक सवाल करते है। हम सब वाहनों का हर रोज़ इस्तेमाल करते है। उसमे कई चीज़े लगती है जिसमे एक महत्वपूर्ण चीज है पेट्रोल। अब आप सोचिये की पेट्रोल को वाहन की ज़रूरत है या वाहन को पेट्रोल की? थोड़ा ज़ोर डालिये अपने दिमाग़ पे और सोचिये। असल मे ना वाहन खुद चलके पेट्रोल के पास जाता है ना ही पेट्रोल खुद चलके वाहन के पास आता है। तो यह जरुरत ना वाहन की है ना ही पेट्रोल की लेकिन यह जरुरत है उस वाहनचालक की जो इस वाहन को चलता है। वैसा ही कुछ यहाँ पे भी हो रहा है। मैं आपका वाहन चालक हूं। मैं आपको कही लेके जाना चाहता हूं।
तो यहाँ ना शरीर को आत्मा की ज़रूरत है और ना ही आत्मा को शरीर की। और अगर देखा जाये तो दोनों को एक दूसरे की जरुरत है। लेकिन ये सब एक लक्ष्य के लिए हो रहा है। और उस लक्ष्य का पहला पड़ाव है आत्मज्ञान और मोक्ष। उसके बाद एक और लक्ष्य है।”