7 May Cosmic Mail (हिन्दी)
हे शांतस्वरूप आत्मा,
आज की कॉस्मिक मेल को शुरू करने से पहले शुक्रिया अदा करते है अपने अलौकिक पिता ब्रम्हांड का।
सवाल: आत्मा क्या है? और परमात्मा क्या है?
अलौकिक पिता का जवाब:
“मेरे प्यारे बच्चो,
मैं आपका अलौकिक पिता ब्रम्हांड हूं। मेरे सब बच्चे मेरे लिए एक समान है। मैं हमेंशा आपका पिता होने के नाते यही चाहता हूं की मेरे बच्चे आत्मज्ञान को हासिल करें। बहोत प्यारा सा सवाल है।
परमात्मा से शुरू करते है। मैं आपका अलौकिक पिता ब्रम्हांड भी हूं और मैं ही परमात्मा भी हूं। एक बहोत बड़ी ऊर्जा का बिंदु स्वरुप प्रकाश हूं मैं। आप सब मेरे अंश है। इतनी बड़ी ब्रम्हांडीय रचना से लेके एक छोटी सी चींटी तक सभी मेरे ही अंश है। मैं सबका सर्जनकार हूं। मैं परमात्मा हूं। मैं एक ऐसा दिया हूं जिसकी रौशनी भी मैं ही हूं, बाती भी मैं हूं और तेल भी मैं ही हूं। मैं स्वयं प्रकाशित हूं।
आप सभी आत्माये है। मेरे इस अलौकिक दिये से जलके जो भी लौकिक दिये जले वह सभी आत्माये है। एक दिये से दूसरा दिया जलाये तो पहले दिये मे प्रकाश कम नहीं हो जाता लेकिन दूसरा दिया जरूर पूरी तरह से जल जाता है। आपका शरीर आपके दिये का तेल है। आपकी ज्योति आपकी आत्मा है और आपकी बाती शरीर और आत्मा को जोड़ने वाली कड़ी है। जब आपका तेल ख़तम हो जायेगा तब आपकी ज्योति बुझ जाएगी और एक नयी बाती और नये तेल के सहारे फिर से मैं उसको अपनी ज्योति से जलाऊंगा।
लेकिन जब तक आपका दिया जल रहा है तब तक आपको समज लेना जरुरी है की उसी ज्योति से या तो आप दुसरो को रौशनी दे या तो किसीको जला दे। आपको आत्मज्ञान होना जरुरी है की आपकी ज्योति किसीको जलाने के लिए नहीं है परंतु किसीको और अपने आपको रौशनी देने के लिए है।”