9 May Cosmic Mail (हिन्दी)
हे ज्ञानी आत्मा,
चलिए अपने अलौकिक पिता ब्रम्हांड का ध्यन्यवाद करके आजके कॉस्मिक मेल की शुरुआत करते है।
सवाल: जीवन मे ध्यान की आवश्यकता क्यों है?
अलौकिक पिता का जवाब:
“मेरे भोले बच्चो,
मैं आपका अलौकिक पिता ब्रम्हांड हूं। मेरे बच्चो के इस सफर का मैं एक मात्र चश्मदीद गवाह हूं। मैं देखता हूं मेरे कही बच्चे रास्ता भटक गए है और उनके जीवन का ध्येय मात्र भूल गए है।
ध्यान एक वो अवस्था है जिसमे आप अपनी आत्मा को देख सकते हो, उसका गया हासिल कर सकते हो। आत्मज्ञान से आप ब्रम्हांड के किसी भी छेत्र मैं जा सकते हो और ब्रम्हांडीय ज्ञान को हासिल कर सकते हो। मेरे कुछ बच्चे विज्ञान की मदद से इस ब्रम्हांड को जानने की कोशिश कर रहे है पर वह मुमकिन नहीं है। आप जब ध्यान करते हो तो आप ब्रम्हांडीय आवृति से जुड़ जाते हो। आप पे ज्ञान की बरसात होने लगती है। यह ज्ञान आपको इस जन्म मरण के फेरो से आज़ाद करेगा और फिर आपका एक नया सफर शुरुआत होगा। वह सफर और भी ज़्यादा अलौकिक होगा। यह ब्रम्हांड फैल रहा है। मेरे बच्चो को अभी बहोत आगे जाना है और इसी लिए मैं हमेंशा आपको सबसे पहले इस जन्म मरण के बंधन से मुक्त होना पड़ेगा जो केवल ध्यान से मुमकिन है।
अब ज़ाहिर सी बात है की मेरे बच्चो को ये सवाल जरूर हो रहा होगा की जन्म मरण के बाद आगे और क्या है। लेकिन यह तो ऐसी बात हो जाएगी की मैं पहली कक्षा के बच्चे को बोर्ड की पढ़ाई कराउ। वर्तमान मैं जीना सीखो मेरे बच्चो। मुक्त हो जाओ इस जन्म मरण के बंधनो से। और ये तभी मुमकिन है जब आप ध्यान की और इन्द्रियों को केंद्रित करेंगे।”